Monday 25 August 2014

“इवोला ” को लेकर जेएन मेडीकल काॅलेज में सतर्कता बरतने के निर्देश


चमन शर्मा 

अलीगढ़:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल काॅलेज के प्राचार्य तथा सीएमएस प्रोफेसर तारिक मंसूर ने भयानक रोग इवोला वायरस के सम्बन्ध में स्टैट सर्विलान्स अधिकारी लखनऊ द्वारा जारी किये गये दिशा निर्देशों के बाद जेएन मेडीकल काॅलेज में भी सतर्कता बरतने के दिशा निर्देश जारी किये हैं।

विश्वविद्यालय के तमाम विभागों के अध्यक्षों, मेडीकल सुप्रिन्टैन्डेन्ट, डिप्टी मेडीकल सुप्रिन्टैन्डेन्ट, सीएमओ इंचार्ज (केजुअलटी) टीचर इन्चार्ज तथा सिस्टर इंचार्ज, मेडीकल काॅलेज को भेजे अपने एक पत्र में प्रोफेसर तारिक मंसूर ने सूचित किया है कि इबोला का वायरस जनता में इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों तथा पशुओं जैसे बन्दर, चिम्पेंजी, चिमगादड़ के रक्त आदि के अतिरिक्त यह रोग वायरस से प्रभावित पर्यावरण से फैलता है।
प्रोफेसर मंसूर ने बताया कि शारीरिक कमजोरी, बुखार, मास पेशियों तथा सर में दर्द, उल्टियों का आना, हलक में खराबी, डायरिया, जिस्म पर दाने, किडनी एवं लीवर का प्रभावित होना तथा कुछ मामलों में अन्दर तथा बाहर रक्त का रिसाव इस रोग के लक्षण में शामिल है। उन्होंने बताया कि यदि इस रोग की लैबोरिटी में जाॅच की जाए तो प्लेट्सलेट तथा रक्त के सफेद सैल्स में कमी एवं लीवर एन्जाइम्स में अधिकता पाई जाती है।
उन्होंने बताया कि करेन्सी गिरने, एक दूसरे को छूने तथा स्वीमिंग पूल में स्नान करने से कोई व्यक्ति इस वायरस से प्रभावित नहीं होता तथा यह वायरस साबुन, ब्लीच, धूप तथा सुखाने से समाप्त हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस रोग के निवारण की अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है इस लिये जन चेतना द्वारा ही इसकी रोकथाम सम्भव है। इसके अतिरिक्त मास को भलि प्रकार पका कर ही प्रयोग करना चाहिये। उन्होंने बताया कि इबोला के रोगी के साथ शारीरिक सम्बन्ध स्थापित नहीं करने चाहिये तथा उसकी देखभाल करते समय दस्तानों तथा अन्य सुरक्षात्मक वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिये, रोगी के प्रयोग में आने वाली वस्तुओं तथा मृत्य शरीर को छूने से भी यह रोग फैलता है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से इस रोग से पीड़ित व्यक्ति का अन्तिम संस्कार शीघ्रता करना चाहिये।
प्रोफेसर तारिक मंसूर ने इबोला से पीड़ित रोगी की देखभाल करने वाले हैल्थ केयर वर्कर्स को स्टैट सर्विलांस अधिकारी लखनऊ द्वारा जारी की हुई निवारक तदबीरें तथा दिशा निर्देशों के अन्तर्गत मेडीकल मास्क पहनने काला चश्मा लगाने पूरी आसतीन का गोन तथा दस्ताने पहनने का परामर्श दिया है।
इस रोग की जाॅच के लिये केवल प्रशिक्षित व्यक्ति ही सेम्पल लेकर उच्च स्तरीय लैबोरिटी में जाॅच हेतु भेज सकते हैं।

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