Friday 12 January 2018

मंगलायतन विवि... अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में नियतिवाद पर हुआ विचार मंथन

Aligarh:  “ सृष्टि में जो कुछ भी घटित होता है, वह किसी एक कारक का फल नहीं, बल्कि द्रव्य के स्वभाव, नियत कालावधि, निमित्त, पुरुषार्थ और होनहार, सभी का परिणाम होता है। ” उक्त वक्तव्य
सुप्रतिष्ठित जैन विद्वान डा‐ हुकुम चन्द भारिल ने मंगलायतन विश्वविद्यालय में ‘श्रमण परम्परा में नियतिवाद’ विषय पर द्विदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन पर कहे। अन्तरराष्ट्रीय जैन अध्ययन संस्थान द्वारा आयोजित सम्मेलन में दुनिया भर के 30 से भी अधिक चिन्तक, जैन एवं बौद्ध धर्म के परिप्रेक्ष्य में नियतिवाद के प्रभावों पर विचार मंथन किया। अन्तरराष्ट्रीय जैन अध्ययन संस्थान निदेशक डा‐ शुगन जैन ने कहा कि “ कर्म का सही या गलत होना भी समय पर निर्भर करता है। एक कृत्य जो एक समय में सही ठहराया जा सकता है, दूसरे समय में गलत सिद्ध किया जा सकता है। ” कुलपति ब्रिगेडियर प्रदीप सिवाच ने कहा कि “ सेना में नियति पर निर्भर रहने की बजाय अपने पराक्रम पर भरोसा रखना सिखाया जाता है। हर सैनिक कोई भी युद्ध सदैव जीतने के लिए ही लड़ता है, परिणाम चाहे जो भी हो। ” जैन चिन्तक ब्रह्मचारी सुमित प्रकाश , प्रो‐ एम‐ के‐ भण्डारी , सम्मेलन संयोजक प्रो‐ जयन्ती लाल जैन ने अपने विचार रखे। इस दौरान प्रति कुलाधिपति डा‐ सतीश चन्द्र जैन और प्रति कुलपति डा‐ केवीएसएम कृष्णा का भी पुष्पगुच्छ देकर और अंगवस्त्र पहना कर स्वागत किया गया।

No comments:

Post a Comment