Thursday 4 January 2018

International Conference on Fatalism in Mangalaytan University on January 11 and 12

अलीगढ़ः मंगलायतन विश्वविद्यालय 11 और 12 जनवरी को एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। इंटरनेषनल स्कूल फाॅर जैन स्टडीज के सहयोग से  आयोजित इस द्विदिवसीय सम्मेलन का विशय है - ‘श्रमण परम्पराओं में नियतिवाद‘।
सम्मेलन के दौरान जैन एवं बौद्ध धर्म के परिप्रेक्ष्य में नियतिवाद के आचारपरक और नैतिक प्रभावों पर भी विचार विमर्श किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि जैन एवं बौद्ध धर्म, दोनों ही नियति की बात तो करते हैं, लेकिन जैन धर्म कर्मफल के सिद्धान्त पर भी जोर देता है। कर्मफल सिद्धान्त के अनुसार व्यक्ति के जीवन में जो भी घटित होता है, वह बहुत कुछ उसके द्वारा पूर्व जन्म या वर्तमान जन्म में किये गये कर्मों पर भी निर्भर है। इतना ही नहीं, व्यक्ति अपने लिए सही मार्ग का चयन कर और उस मार्ग का निष्ठापूर्वक पालन कर मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। इस गूढ विशय पर 11 सत्रों में दुनिया भर के जो 30 से भी अधिक विद्वान विचार मंथन करेंगे, उनमें अनेक विदेशी अध्येता शामिल हैं। नियतिवाद से सम्बन्ध जिन मुदद्ो पर विचार किया जाएगा, उनमें प्रमुख हैं - नियतिवाद का ऐतिहासिक विकास, नियतिवाद एवं कर्म सिद्धान्त और नियतिवाद का नैतिक मूल्यों पर प्रभाव।
     सम्मेलन के संयोजक प्रो0 जयन्ती लाल जैन के अनुसार उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे, अभय फिरोदिया, जो एक प्रमुख उद्योगपति होने के साथ-साथ जाने-माने जैन चिन्तक भी हैं। विशिष्ट अतिथि होंगे सुप्रतिश्ठित जैन तत्ववेत्ता डा0 हुकुम चन्द्र भारिल। प्रमुख वक्ता होंगे भारतीय दार्षनिक अनुसंधान परिषद् के अध्यक्ष प्रो0 एस0 आर0 भटट्। विभिन्न सत्रों में जो विदेषी दार्षनिक परिचर्चा के दौरान अपने मंतव्य रखेंगे, उनमें प्रमुख हैं अमेरिका के प्रो0 क्रिस्टोफर के0 चैपल व हिमांषु जैन तथा सिंगापुर के नयन जैन और साकेत जैन। देष के विभिन्न भागों से जो विद्वान सम्मेलन में पधार रहे हैं, उनमें प्रमुख हैं अन्तरराष्ट्रीय जैन अध्ययन संस्थान के निदेशक डा0 षगुन चन्द जैन, इसरो के वैज्ञानिक डा0 सुरेन्द्र सिंह पोखरना और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो0 बिमलेन्द्र कुमार।
    विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो0 केवीएसएम कुष्णा ने बताया कि सम्मेलन के लिए तैयारियाँ जोरशोर से जारी हैं। कुलपति प्रो0 प्रदीप सिवाच स्वयं सभी व्यवस्थाओं पर नजर रख रहे हैं। मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, हैदराबाद, उदयपुर और पुणे आदि नगरों से आ रहे विद्वानों के ठहरने के लिए भी उपयुक्त व्यवस्था की जा रही है।

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