Saturday 19 November 2016

अनिवार्य नहीं,जन्मसिद्ध अधिकार है हिंदी-योगेश भारद्वाज

अलीगढ़:जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य योगेश भारद्वाज ने इंस्टीट्यूट आफ इन्फोरमेशन मैनेजमेंट एण्ड टैक्नोलाजी, अलीगढ़ में वर्तमान परिपेक्ष्य में हिंदी की उपादेयता विषय पर आयोजित संगोष्ठी में शिरकत की।
संगोष्ठी का शुभारम्भ हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य योगेश भारद्वाज, आइआइएमटी प्राचार्य शंभू के.एन.सिंह रावत, सुरेंद्र शर्मा, पंकज धीरज ने दीप प्रज्जवलित कर किया। हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य योगेश भारद्वाज ने कहा कि हिंदी अनिवार्य नहीं बल्कि हम सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है, इसलिए हिंदी को मातृभाषा का दर्जा दिया जाता है। हिंदी को राजभाषा के साथ-साथ पूरे देश की भाषा बनाया जाना चाहिए।हिंदी में सभी भाषाऐं समाहित हो जाती हैं। हिंदी भाषाओं का संगम है। सुरेंद्र शर्मा ने हिंदी के वर्णमाला का महत्व बताया कि अगर रोजाना वर्णमाला का उच्चारण किया जाऐ तो फैफड़ों को मजबूती मिलती है। वर्णमाला उच्चारण फैंफड़ों के लिए अच्छा व्यायामह ै। शिवानी, सुमन, विकास, अतुल, चेतन, योगेश कुमार, आरिश, शिव कुमार आदि छात्र-छात्राओं ने हिंदी की उपादेयता पर अपने विचार और प्रश्न सभी के समक्ष रखे। शिक्षक प्रभात रंजन शर्मा, सचिन शर्मा शिक्षिका डा अजीता सिंह, डा अंजू सक्सैना, प्रो सर्वेश देवी, डा अनुपम राघव, डाॅ गीता शर्मा, चमन शर्मा ने हिंदी के वर्तमान हालात पर अपने उद्गार प्रकट किए।

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