अलीगढ़.अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एकेडेमिक स्टाफ कालेज में ‘‘राष्ट्रीय एकता’’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए नेशनल फाउंडेशन फार कम्यूनल हारमनी के सचिव व पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि भारत केवल एक राष्ट्र ही नहीं बल्कि एक संस्कृति है और धर्म निर्पेक्षता इस राष्ट्र की सबसे बड़ी धरोहर है और यहाँ विभिन्न धर्मो, जातिओं और क्षेत्रों के लोग आपस में मिल जुलकर रहते हैं।
परन्तु कुछ लोग देश की एकता और अखंडता को खंडित करने का भी प्रयास करते हैं जबकि राष्ट्रीय एकता एक राष्ट्रीय आवश्यकता है। अमुवि की अपनी गरिमा है और इस संस्था ने देश में साम्प्रदायिक सदभाव को बढ़ावा दिया है. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए सहकुलपति ब्रिगेडियर एस अहमद अली ने कहा कि हर व्यक्ति की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण हमारा ध्येय होना चाहिये। राष्ट्रीय सद्भाव से ही देश में शान्ति और स्मृद्वि पैदा होती है। ब्रिगेडियर अली ने साम्प्रदायिक सदभाव की मिसाल पेश करते हुए कहा कि 1981 में जब वह फौज के अफसर के रूप में जालंधर में तैनात थे तो उनकी पत्नी को खून देने वाले सिख और हिन्दू भाई थे और यह खून आज भी उनकी रगों में दौड़ रहा है। एकेडेमिक स्टाफ कालेज के निदेशक प्रोफेसर एआर किदवई ने कहा कि इस संस्था के संस्थापक सर सैय्यद अहमद खान ने जीवन भर साम्प्रदायिक सौहार्द पर बल दिया और हिन्दू व मुसलमानों को अपनी दो आँखें बताया। इस अवसर पर उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी में निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और स्लोगन मुकाबला भी आयोजित किया गया। सहकुलपति की पत्नी रिज़वाना अली ने पुरस्कार वितरित किये।
परन्तु कुछ लोग देश की एकता और अखंडता को खंडित करने का भी प्रयास करते हैं जबकि राष्ट्रीय एकता एक राष्ट्रीय आवश्यकता है। अमुवि की अपनी गरिमा है और इस संस्था ने देश में साम्प्रदायिक सदभाव को बढ़ावा दिया है. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए सहकुलपति ब्रिगेडियर एस अहमद अली ने कहा कि हर व्यक्ति की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण हमारा ध्येय होना चाहिये। राष्ट्रीय सद्भाव से ही देश में शान्ति और स्मृद्वि पैदा होती है। ब्रिगेडियर अली ने साम्प्रदायिक सदभाव की मिसाल पेश करते हुए कहा कि 1981 में जब वह फौज के अफसर के रूप में जालंधर में तैनात थे तो उनकी पत्नी को खून देने वाले सिख और हिन्दू भाई थे और यह खून आज भी उनकी रगों में दौड़ रहा है। एकेडेमिक स्टाफ कालेज के निदेशक प्रोफेसर एआर किदवई ने कहा कि इस संस्था के संस्थापक सर सैय्यद अहमद खान ने जीवन भर साम्प्रदायिक सौहार्द पर बल दिया और हिन्दू व मुसलमानों को अपनी दो आँखें बताया। इस अवसर पर उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी में निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और स्लोगन मुकाबला भी आयोजित किया गया। सहकुलपति की पत्नी रिज़वाना अली ने पुरस्कार वितरित किये।
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