Tuesday 17 December 2013

अमुवि लॉ प्रोफ़ेसर मामला:कोर्ट से पहले अभियुक्त को अपराधी करार देना कहां तक है न्यायपालिका का सम्मान ?

अलीगढ़। भारतीय संविधान में वैसे तो न्यायपालिका को उच्च स्थान प्रदान किया गया है। अभी कुछ समय से यौन शौषण मामलों में जनता ने भावनाओं में बहकर न्यायपालिका से पहले आरोपी को अपराधी करार दे उसकी छवि को धूल में मिला दिया। ऐसा ही इस समय अमुवि के लॉ विभाग के सस्पेंड विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शब्बीर के मामले में हो रहा है।
प्रोफेसर शब्बीर पर उनकी एक लॉ  छात्रा ने यौन शौषण का आरोप लगा दिया। प्रोफेसर शब्बीर को अमुवि इंतजामिया द्वारा सस्पेंड कर दिया गया। उसके बाद तो अमुवि के स्टूडेंट्स प्रोफेसर के खिलाफ पीस मार्च निकालते आये हैं। प्रोफेसर के पुतले को पीटना,जलाना और कालिख पोत देने की कार्यवाही हुई। मानते हैं कि भारत स्वतंत्र है,सभी को अपनी बात रखने का हक है लेकिन विधि अनुसार उसकी भी एक सीमा है। जब न्यायपालिका में यह सिस्टम है कि विधि अनुसार जब तक कोर्ट किसी को किसी अपराध के लिए दोषी करार नहीं दे देता तब तक उसको उस अपराध के लिए अपराधी करार नहीं दिया जा सकता,तब तक वह व्यक्ति एक सम्मानित नागरिक का ओहदा रखता है। विधि अनुसार अगर किसी पर किसी मामले में आरोप लगते हैं तो वह एक अभियुक्त की श्रेणी में आ जाता है। अगर न्यायालय उसे दोषी करार देता है तो वह अपराधी है। आगे वह अगर अपर न्यायलयों सैशन कोर्ट,जिला न्यायालय,हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बरी कर दिया जाये तो वह व्यक्ति एक सम्मानित नागरिक का ही दर्जा रखेगा। इस दौरान उक्त अभियुक्त की छवि को हानि हुई उसको वापिस तो नहीं लौटाया जा सकता। इसी को लेकर प्रोफेसर शब्बीर की पत्नी ने पत्रकारों से बात कर अपनी बात रखी। प्रोफेसर शब्बीर की पत्नी डा.खांन नूर इफरोज ने पत्रकार वार्ता में प्रोफेसर शब्बीर पर लगाये गये आरोप को द्वेष भावना से प्रेरित बताया और कहा कि अमुवि के एक कार्यक्रम में एएमयू तराना व राष्टगान का अपमान करने पर विगत 11 मार्च को आरोप लगाने वाली लॉ  छात्रा को प्रोफेसर शब्बीर ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उसके बाद एलएलएम के दौरान उक्त छात्रा के बायबा में अच्छे अंक दिलाने की प्रोफेसर शब्बीर से सिफारिश की गयी। प्रोफेसर शब्बीर ने सिफारिश को नकार दिया। उसके बाद तुरन्त लॉ  छात्रा ने प्रोफेसर शब्बीर पर साजिशन यौन शौषण के आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करा दी गयी। बिना जांच के प्रोफेसर शब्बीर को सस्पेंड कर दिया गया। प्रोफेसर शब्बीर को साजिशन फसाया गया है। प्रोफेसर शब्बीर और अमुवि की छवि खराब करने को लेकर जल्दी ही न्यायालय में मानहानि का मामला एएमयू के रजिस्टार व लॉ  प्रोफेसर सलीम अख्तर, प्रो.इकबाल अली के खिलाफ दर्ज कराया जायेगा। हाईकोर्ट ने विगत 13 दिसम्बर को अरैस्ट स्टे को डिस्पोज ऑफ़  कर यह रिलीफ दी गयी कि सीआरपीसी की धारा 41 के अन्तर्गत संस्शोधित एक्ट के अनुसार 7 साल या 7साल से कम वाली सजा के अपराध पर इस तरीके से अरेस्टिंग नहीं हो सकती। हाईकोर्ट ने प्रोफेसर को न्यायालय के निर्देश का पालन करने तक गिरफ्तारी न करने का रिलीफ प्रदान किया है। स्थानीय न्यायालय ने आगामी 19 दिसम्बर तक आदेश की सर्टिफाइड कॉपी  देने की कही है। डा.खांन नूर इफरोज ने बताया कि जल्दी ही प्रोफेसर शब्बीर जनता,मीडिया व न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होंगे। पत्रकार वार्ता के दौरान  प्रोफेसर शब्बीर के भतीजे सुजाहुल्लाह एड. उपस्थित थे।

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