Friday 7 October 2016

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय संस्थापक सर सैयद अहमद खाॅन

आधुनिक भारत के निर्माता, समाज सुधारक एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खाॅ का जन्म अक्तूबर 1817 को दिल्ली में हुआ था।
वह भारत के उन अग्रणी चिंतकों में थे जिन्होंने मुस्लिम समुदाय के पिछड़ेपन को समाप्त करने तथा उनके सशक्तिकरण के लिये शिक्षा के महत्व को पहचाना तथा उनके शैक्षणिक विकास के लिये कार्य किया। उन्होंने एक मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की दिशा में कार्य करते हुए मदर्रसतुल उलूम तथा मुहम्मडन एंग्लो ओरियन्टल काॅलिज की स्थापना की। मुसलमानों में वैज्ञानिक सोच एवं रूझान को बढ़ावा देने तथा भारतवासियों के लिये स्वयं उनकी भाषा में पश्चिमी ज्ञान के भंडार को उपलब्ध कराने के लिये उन्होंने 1863 में साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की। मार्च 1866 में उन्होंने साइंटिफिक सोसाइटी के मुख पत्र के रूप में अलीगढ़ इंस्टीटयूट गज़ट का प्रकाशन प्रारम्भ किया और मुसलमानों के दृष्टिकोण एवं विचारों में सकारात्मक बदलाव लाने में बड़ी सफलता प्राप्त की। कुछ लोगों के घोर विरोध के बावजूद सर सैयद ने अक्तूबर 1870 में दूसरी पत्रिका ‘‘तहजीबुल अख़लाक’’ का प्रकाशन प्रारम्भ किया जिसे वास्तव में मुसलमानों के समाज सुधारक की उपाधि दी जा सकती है।
1875 में सर सैयद ने आक्सफोर्ड तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के पैटर्न पर अलीगढ़ में मदर्सतुल उलूम की स्थापना की। उन्होंने 1869 में अपने लंदन दौरे के बीच इन विश्व विख्यात विश्वविद्यालयों का भ्रमण किया तथा वह इनकी शैक्षणिक गुणवत्ता तथा रूप स्वरूप से बेहद प्रभावित थे। उनके मन में इस्लामी मूल्यों से समझौता किये बिना ब्रिटिश शिक्षा पद्वति के आधार पर एक काॅलिज स्थापित करने का विचार उत्पन्न हो चुका था। वह चाहते थे कि यह काॅलिज आधुनिक एवं प्राचीन तथा पूरब एवं पश्चिम के मध्य पुल का काम करे।
सर सैयद का उद्देश्य केवल अलीगढ़ में एक काॅलिज की स्थापना तक सीमित नहीं था बल्कि वह देश के कोने कोने में मुसलमानों द्वारा व्यवस्थित शिक्षण संस्थाओं का नेटवर्क स्थापित करना चाहते थे। इसी पृष्ठभूमि में 1950 में भारतीय संविधान के निर्माताओं ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को ‘‘राष्ट्रीय महत्व की संस्था’’ का दर्जा प्रदान किया था।
सर सैयद ने 27 मार्च 1898 को दुनियाॅ से विदा लिया परन्तु वह अपने पीछे शिक्षा एवं ज्ञान का ऐसा द्वीप छोड़ गए जो पूरे विश्व को प्रकाशमान कर रहा है तथा जिससे हज़ारों दीप जलाए जा चुके हैं।
भारत के अल्पसंख्यकों को अज्ञानता के अंधकार से बाहर निकालने तथा उनके शैक्षणिक उत्थान के लिये सर सेयद के मिशन को आगे बढ़ाते हुए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अतिरिक्त केन्द्र केरल के मल्लापुरम, बिहार के किशनगंज तथा पश्चिमी बंगाल के मुर्शिदाबाद में भारत सरकार की सहायता तथा मंजूरी से स्थापित किये गए हैं जो अलीगढ़ आन्दोलन के व्यापक होने का प्रमाण है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिीनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह ने अमुवि संस्थापक के मिशन को आगे बढ़ाते हुए एक मिशन स्टेटमेंट जारी किया है जिस के अन्तर्गत अक्तूबर 2017 तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को भारत के अग्रणी विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान तक पहुॅचाने का संकल्प लिया गया है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये विश्वविद्यालय बिरादरी के प्रत्येक सदस्य को अपना पूरा योगदान देना होगा और यदि हम यह कर पाये तो सर सैयद अहमद खाॅ के लिये यह हमारी सच्ची श्रद्वांजलि होगी।

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