Sunday 21 August 2016

निजी स्वार्थाें खातिर बहुविवाह के लिये इस्लाम धर्म ग्रहण करने वालों को किया जाये हतोत्साहित:वीसी

अलीगढ़:अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कला संकाय के सभागार में आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड और सर सैयद अवैयरनेस फोरम द्वारा संयुक्त रूप से मुस्लिम पर्सनल लाॅ की प्रसंगिक्ता और इसकी प्राकृतिक कानून से अनुरूपता विषय पर आयोजित सेमिनार को सम्बोधित करते हुए एएमयू कुलपति लैफ्टिनेन्ट जनरल (सेवानिवृत) जमीरूद्दीन शाह ने कहा कि इस्लाम धर्म महिलाओं को तलाक सम्बंधित अति महत्वपूर्ण ख़ुला (सम्बंध विच्छेद) का अधिकार देता है।
लेकिन भारत में यह अभी अधिक प्रचलित नहीं है। इस मामले में महिलाओं के लिये आसानी पैदा की जानी चाहिये ताकि वह भी पुरुषों की भांति तलाक के मामले में अपनी राय की अभिव्यक्ति कर सकें।

उन्होंने कहा कि इस्लाम में अनेक मामलों में महिलाओं को समान अधिकार दिये गये हैं और इस बात के प्रयास होने चाहिये कि उन्हें सशक्तिकरण के तमाम अवसर प्राप्त हों। कुलपति ने कहा कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थाें की खातिर बहुविवाह के लिये इस्लाम धर्म ग्रहण कर लेते हैं जिसको हतोत्साहित किये जाने की आवश्यक्ता है और इसके लिये मुस्लिम धर्मगुरुओं को उचित कदम उठाने चाहिये। जनरल शाह ने कहा कि एएमयू में ब्रिज कोर्स में अध्य्यनरत मदरसों के छात्र हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं और उनका सपना है कि यह छात्र भविष्य में देश का नेतृत्व भी करें।

आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के महासचिव मौलाना मुहम्मद वली रहमानी ने कहा कि आज समाज में महिला आज़ादी के नाम पर अश्लीलता को बढ़ावा दिया जा रहा है जिस पर गम्भीरता से विचार किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक चीज़ों को समझने के साथ उस पर अमल करके ही इस्लाम के मानने वालों की पहचान को कायम रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में शिक्षा ग्रहण करने पर बहुत बल दिया गया है और यह सभी का दायित्व है कि वह लड़कों के साथ लड़कियों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दें। मौलाना मुहम्मद वली रहमानी ने कहा कि आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक स्वरूप से सम्बंधित सर्वाेच्च न्यायालय में चल रहे केस को लेकर काफ़ी चिन्तित हैं और उन्हें आशा है कि न्यायालय का निर्णय एएमयू के पक्ष में ही आयेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को आईआईटी, यूपीएससी, मेडिकल और सीए आदि परिक्षा में शामिल होने वाले एएमयू के छात्रों को उनकी तैयारी के लिये अपने पूरे सहयोग का आश्वासन दिया।

आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के सेकरेट्री मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि इस्लाम में तलाक को सबसे ज्यादा ना पसन्दीदा बताया गया है लेकिन अगर ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जायें जिसमें पति पत्नी का एक साथ रहना मुश्किल हो जाये, ऐसी स्थिति में तलाक भी एक मात्र विकल्प बचता है। उन्होंने कहा कि विश्व में अनेक धर्म ऐसे हैं जहां तलाक की कोई प्रथा नहीं थी लेकिन इन धर्माें ने इस्लाम धर्म से ही तलाक की सीख ली और इसका उद्देश्य यही था कि आसानी के साथ पति पत्नी के बीच के सम्बन्ध विच्छेद हो सके और वह दोनों अपने तरीके से नये जीवन की शुरूआत कर सकें। उन्होंने कहा कि इस संस्था के संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने इस इदारे की स्थापना के समय जो सपना देखा था उसने दृष्टिगत कि एएमयू में मुस्लिम पर्सनल लाॅ की पढ़ाई का विशेष प्रबन्ध हो और इसमें तलाक जैसे विषय को भी विशेष तौर पर शामिल किया जाये। मौलाना खालिद सैफुल्लाह ने इस बात को स्पष्ट किया कि इस्लाम में पुरुषों पर ज्यादा जिम्मेदारियां होने के कारण उनको ज्यादा अधिकार प्रदान किये गये हैं।

सेमिनार के आयोजक एवं मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के सदस्य तथा एएमयू में कानून विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रो0 शकील अहमद समदानी ने कहा कि वर्तमान में जिस प्रकार से मुस्लिम पर्सनल लाॅ पर हमले हो रहे हैं और इसमें बदलाव की मांग उठाई जा रही है वह बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के सवाल को जो शक्तियां आज उठा रही हैं वह संविधान में प्रदत्त धार्मिक आज़ादी को छीनना चाहती हैं, जबकि धार्मिक आज़ादी भारत में पिछले बारह सौ सालों से विभिन्न संप्रदायों को हासिल है। शायद उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं है कि धार्मिक स्वतंत्रता की बुनियाद आज से लगभग बारह सौ वर्ष पूर्व मुहम्मद बिन कासिम के समय से शुरू हुई थी और बाद में यह सल्तनतकाल, मुग़लकाल और अंग्रेजों के दौर में भी बराबर चलती रही। प्रो0 समदानी ने कहा कि कुछ भटके लोग अपने कार्याें से इस्लाम धर्म को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर सभी लोग इस्लाम धर्म का ठीक प्रकार से पालन करें तो तमाम प्रकार की समस्याओं को हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार का आयोजन विशेष रूप से अधिवक्ताओं, शोध छात्रों, उलेमा एवं विधि छात्रों के लिये किया गया है ताकि वह मुस्लिम पर्सनल लाॅ से और अधिक परिचित हो सकें।

जामिया हिदाया जयपुर के रैक्टर मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्ददी ने कहा कि आज पूरा पश्चिम इस्लामी सभ्यता से भयभीत है और वह लगातार इसके विरूद्ध दुषप्रचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी शक्तियां सभ्यताओं के संघर्ष पर कार्य करके इस्लाम धर्म को बदनाम करने पर तुली हुई हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में भी मुस्लिम पर्सनल लाॅ पर चैतरफा दबाव बनाने के प्रयास हो रहे हैं ताकि यह भी पश्चिम सभ्यता में तबदील हो जाये। मौलाना मुजद्ददी ने कहा कि बहुविवाह के संबन्ध में जो आंकड़े उपलब्ध हैं उसके अनुसार इस कार्य में वह लोग सबसे आगे हैं जिनका इस्लाम धर्म से कोई लेना देना नहीं है। जबकि बहुविवाह का प्रचार मुसलमानों को लेकर हो रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को स्वतंत्रता के बजाय सुरक्षा की सबसे बड़ी आवश्यक्ता है क्योंकि आये दिन जिस प्रकार से महिलाओं के साथ घटनायें घटित हो रही हैं वह सब उनकी असहिष्णुता से ही संबन्धित हैं। उन्होंने इजराइल के कुछ विद्वानों द्वारा भारत के समान नागरिकता मसले पर किये गये कार्य पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस मामले में इजराइल का रुचि लेना एक चिंता का गम्भीर विषय है। उन्होंने कहा कि मानव द्वारा रचित संविधान दैवीय संविधान से कभी ऊपर नहीं हो सकता।

एएमयू के धर्मशास्त्र संकाय के पूर्व डीन प्रो0 सऊद आलम कासमी ने कहा कि भारतीय संविधान में सभी धर्माें के मानने वाले लोगों को अपने धर्म पर चलने की पूरी आजादी प्रदान की गयी है और यह भारतीय मुसलमानों का दायित्व है कि वह शरीअत का कानूनों का पूरी तरह पालन करें। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये जिससे मुस्लिम पर्सनल लाॅ में किसी प्रकार के दखल की कोई नौबत न आये। उन्होंने कहा कि मुसलमान कुरान की शिक्षा का पालन करें और इस शिक्षा से अपने देशवासियों को भी परिचित करायें। उपस्थितजनों का आभार श्री उबैद इकबाल आसिम ने जताया।

इस अवसर पर कुलपति की पत्नी श्रीमती सबीहा सीमी शाह, जेएन मेडिकल काॅलेज के पिं्रसिपल प्रो0 तारिक मन्सूर, ईसी सदस्य डा0 नसीम खान, कला संकाय के डीन प्रो0 शेख मस्तान, कार्ट सदस्य प्रो0 हुमायंु मुराद, एकेडमिक काउन्सिल सदस्य डा0 मौ0 राशिद, डिस्टेन्स एजूकेशन के डायरेक्टर प्रो0 नफीस अन्सारी, सुन्नी धर्मशात्र विभाग के अध्ययक्ष प्रो0 तौकीर आलम फलाही, प्रो0 अब्दुल अलीम, प्रो0 अब्दुल खालिक, सऊदी अरब से पधारे इण्टरनेश्नल स्कूल के चेयरमैन दिलशाद अहमद, डा0 नजमुद्दीन अन्सारी, डा0 शारिक अकील, प्रो0 सलाउद्दीन कुरैशी, जीव विज्ञान संकाय के पूर्व डीन प्रो0 मसूद अहमद, प्रो0 मौ0 आसिम, अनवर मोहसिन, डा0 रिहान अख्तर, डा0 नदीम अशरफ, अन्जुम तस्नीम, आयशा अन्सारी, तलत अन्जुम, अब्दुल्लाह समदानी, कारी अब्दुल्लाह, कारी शोएब, इस्लाम खान एडवोकेट, हसीन अहमद एडवोकेट, के अलावा सर सैयद अवैयरनेस फोरम के सचिव शोएब अली एडवोकेट, डा0 हैदर अली, मन्सूर इलाही, पूर्व कोर्ट सदस्य अहमद मुजतबा आदि लोग मौजूद रहे।

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