अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूजीसी मानव संसाधन विकास केन्द्र में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में आरटीओ अलीगढ़ डाॅ. विक्रम सिंह और डाॅ. अकरम शेरवानी ने कहानी पाठ किया तथा हिन्दी विभाग के डाॅ. मैराज अहमद के दो कहानी संग्रह ‘‘दावत’’ तथा ‘‘ना घर के ना घाट के’’ का विमोचन भी हुआ।
इस अवसर पर डाॅ. विक्रम सिंह ने कहा कि उर्दू व हिन्दी भाषा दोनों बहनों के समान हैं जिन्हें फल फूलने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक लेखक का हृदय बहुत ही कोमल व भावुक होता है और वह किसी से प्रभावित होता है तो एक नई रचना जन्म लेती है।
डाॅ. मैराज अहमद ने कहा कि उनके दोनों कहानी संग्रह गत दस वर्षों में उनके द्वारा लिखी गई कहानियों पर आधारित हैं। इन कहानियों में मुस्लिम समाज की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का चित्रण किया गया है। जो कई नए पहलुओं को सामने लाता है। उन्होंने इन कहानियों में मुस्लिम समाज के हाशिये पर पहुॅचने के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया है। डाॅ. मैराज अहमद ने अपनी दो प्रमुख कहानी अमरूद और हरि पत्तियों का भी पाठ भी किया।
डाॅ. अकरम शेरवानी ने अपनी मशहूर कहानी ‘‘शामत की मारी’’ का पाठ किया जो कि उर्दू व्याकरण से सम्बन्धित थी। उन्होंने इस कहानी के बच्चों पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव और नई बोलचाल मे ंप्रयोग किये जाने वाले शब्दों और शिक्षकों द्वारा पढ़ाई के दौरान प्रयोग किये जाने वाले शब्दों को भी उभारा।
लखनऊ विवि में उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अनीस अशफाक़ ने कार्यक्रम में पेश की गई कहानी अमरूद और हरी पत्ती तथा शामत की मारी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कहानियाॅ उर्दू साहित्य की उत्कृष्ट रचना है।
इससे पूर्व कोर्स कोर्डीनेटर प्रोफेसर सगीर अफराहीम ने मेहमानों का परिचय उपस्थितजनों से कराया। उन्होंने कहा कि साहित्य का जीवन से गहरा सम्बन्ध होता है। हरेक लेखक अपनी दृष्टि से जीवन का अध्ययन करके रचना के रूप में प्रस्तुत करता है। रिसर्च स्कालर मुहम्मद जुनैद ने उपस्थितजनों का स्वागत किया। डाॅ. फुरक़ान संभली ने कार्यक्रम का संचालन किया।
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इस अवसर पर डाॅ. विक्रम सिंह ने कहा कि उर्दू व हिन्दी भाषा दोनों बहनों के समान हैं जिन्हें फल फूलने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक लेखक का हृदय बहुत ही कोमल व भावुक होता है और वह किसी से प्रभावित होता है तो एक नई रचना जन्म लेती है।
डाॅ. मैराज अहमद ने कहा कि उनके दोनों कहानी संग्रह गत दस वर्षों में उनके द्वारा लिखी गई कहानियों पर आधारित हैं। इन कहानियों में मुस्लिम समाज की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का चित्रण किया गया है। जो कई नए पहलुओं को सामने लाता है। उन्होंने इन कहानियों में मुस्लिम समाज के हाशिये पर पहुॅचने के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया है। डाॅ. मैराज अहमद ने अपनी दो प्रमुख कहानी अमरूद और हरि पत्तियों का भी पाठ भी किया।
डाॅ. अकरम शेरवानी ने अपनी मशहूर कहानी ‘‘शामत की मारी’’ का पाठ किया जो कि उर्दू व्याकरण से सम्बन्धित थी। उन्होंने इस कहानी के बच्चों पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव और नई बोलचाल मे ंप्रयोग किये जाने वाले शब्दों और शिक्षकों द्वारा पढ़ाई के दौरान प्रयोग किये जाने वाले शब्दों को भी उभारा।
लखनऊ विवि में उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अनीस अशफाक़ ने कार्यक्रम में पेश की गई कहानी अमरूद और हरी पत्ती तथा शामत की मारी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कहानियाॅ उर्दू साहित्य की उत्कृष्ट रचना है।
इससे पूर्व कोर्स कोर्डीनेटर प्रोफेसर सगीर अफराहीम ने मेहमानों का परिचय उपस्थितजनों से कराया। उन्होंने कहा कि साहित्य का जीवन से गहरा सम्बन्ध होता है। हरेक लेखक अपनी दृष्टि से जीवन का अध्ययन करके रचना के रूप में प्रस्तुत करता है। रिसर्च स्कालर मुहम्मद जुनैद ने उपस्थितजनों का स्वागत किया। डाॅ. फुरक़ान संभली ने कार्यक्रम का संचालन किया।
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