Saturday 27 August 2016

अपने आप हॅसना, मुस्कुराना, बुदबुदाना है..... शिजेफ्रिया

अलीगढ़:अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल जेहरू मेडीकल कालिज के मनोरोग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एस0ए0 आजमी ने कहा कि शिजेफ्रिया एक मानसिक रोग है।
शिजेफ्रेनिया का नाम सन् 19911 में यूजीन ब्लूलर ने दिया था। इस रोग में व्यक्ति को सोचने, भावनाओं को महसूस करने तथा उसकी अभिव्यक्ति की क्षमता, व्यवहार तथा व्यक्तित्व में निकृति आ जाती है। उनका कहना है कि रोगी को किसी ध्वनि के स्रोत न रहते हुए भी आवाजें सुनाई पड़ती हैं। उसको शक होता है तथा वह अपना सामाजिक, व्यक्तिगत तथा कार्य या व्यवसाय नहीं कर पाता है। अपने आप हॅसना, मुस्कुराना, बुदबुदाना या असमान्य हरकत करता प्रायः देखा जाता है। इसकी व्यापकता दर हमारे देश में लगभग   1 प्रतिशत की दर से व्याप्त है। उनका कहना है कि जहाॅ तक इस रोग के कारण का सवाल है तो कोई एक नहीं अनेक कारण हैं जैसे मस्तिष्क में जैवरासायनिक तत्वों में असन्तुलन, मस्तिष्क की कोशिकाओं में आपस में संदेश भेजने एवं ग्रहण करने में त्रटि, बचपन में बच्चों के साथ संवाद त्रटि, पारिवारिक तनाव.
डा0 आजमी का कहना है कि इस रोग का इतिहास इत्यादि कारण होते हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह रोग 15 से 25 साल उम्र के लोगों, स्त्री-पुरूष में समान रूप से मिलता है। इस रोग का इलाज सम्भव है आज अच्छी औषधियाॅ उपलब्ध हैं। समस्या लोगों में यह है कि उनको जानकारी न होने के कारण परिवार के लोेग रोगी को इलाज के लिए समय से नहीं लाते। रोगी को यह नहीं पता होता है कि वह मानसिक रोगी है। इस लिए समय से परिवार वालों को रोगी का इलाज कराना समझदारी होगी। याद रहे शिजोफ्रेनिया भी अन्य रोगों की तरह रोग है इस लिए रोगी को अलग-थलग रखने से उसे तिरस्कार से देखना गलत है। सम्मान सहित मरीज का इलाज करने के लिए लोग हिम्मत से तत्वर रहें।

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