Monday 23 November 2015

गठिया में गुलमोहर,ब्लड प्रेशर में अनार है लाभदायक

अलीगढ़:प्रख्यात वैज्ञानिक और अमरीका की नोरथ ईस्ट ओहियो मैडीकल यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर तारिक एम हक्की ने आज कैमिस्ट्री विभाग में ‘‘गठिया’’ के रोग पर उनकी प्रयोगशाला में हो रहे शोधकायों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि गठिया की बीमारी को खानपान के सही ढंग से इस्तेमाल करने से इस बीमारी से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।


उन्होंने कहा कि हर्बल औषधियों के इस्तेमाल से भी इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गुलमोहर इसमें सबसे ज्यादा लाभदायक है और भारत में गुलमोहर के पौधे बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। गुलमोहर के फूल को इस्तेमाल करके गठिया का उपचार सम्भव है। उन्होंने कहा कि गुलमोहर का पाउडर अब अमरीका के बाजार में उपलब्ध है और बहुत जल्द ही इस का कैपसूल भी बाजार में आ जायेगा।

प्रोफेसर हक्की ने कहा कि अनार के फल से भी शरीर को स्वस्थ्य रखा जा सकता है। गठिया के रोगियों को अनार का भी इस्तेमाल करना चाहिये। उन्होंने कहा कि रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) के रोगियों के लिये भी अनार का प्रतिदिन इस्तेमाल बहुत ही लाभदायक है।

उन्होंने कहा कि ग्रीन टी से भी गठिया के मरीजों को फायदा होता है। इसके साथ ही ग्रीन टी प्रोस्ट्रेट के रोगियों के लिये भी बहुत ही लाभदायक है।

व्याख्यान माला की अध्यक्षता करते हुए सहकुलपति ब्रिगेडियर एस अहमद अली ने कहा कि प्रोफेसर तारिक हक्की एक प्रख्यात वैज्ञानिक और वह गठिया जैसी बीमारी का निदान करने के लिये गत बीस वर्षों से शोध कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर तारिक इसी संस्था के छात्र रह चुके हैं और हम सबकी यही प्रार्थना है कि उनके इस शोध पर उन्हें नौबुल पुरस्कार के लिये चुना जाय।

उन्होंने कहा कि गठिया के रोगियों को सबसे पहले अपना वनज कम करना चाहिये। भारी वनज वाले लोगों को ही इस की बीमारी ज्यदा देखी जाती है। साथ ही शारीरिक व्यायाम से भी बहुत सी बीमारियों को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि विशेष कर महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिये और नियमित शारीरिक व्यायाम करना चाहिये।

सहकुलपति ब्रिगेडियर एस अहमद अली ने कहा कि हृदय रोगियों के लिये अर्जुन पेड़ के पत्ते चाय के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिये जिससे हृदय में खून की नलिया बन्द हो जाती हैं वह खुल जाती हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अर्जुन के पेड़ बहुत सारे लगे हुए हैं। वह स्वयं उनके पत्तों को मिक्सी में पीस कर चाय के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।

सहकुलपति ने यूएई के अपने दौरे के बारे में बताया कि खाड़ी के देशों में भी साइंस, टैक्नालोजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिस पर ध्यान दिया जा रहा है और अब मात्र तेल पर निर्भर न रह कर आधुनिक प्राद्योगिकी को बढ़ावा दे रहे हैं।

इससे पूर्व कैमिस्ट्री विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुहम्मद शाकिर ने प्रोफेसर तारिक हक्की का स्वागत करते हुए कहा कि डाॅ. तारिक ने इसी संस्था से शिक्षा ग्रहण की है और विश्व के प्रख्यात विश्वविद्यालयों में उनके शोध कार्यों को सराहा जाता है। उन्होंने अपना कैरियर भी अलीगढ़ से ही शुरू किया था बाद में वह अमरीका में रहकर शोध कार्यों में व्यस्त हैं और उनकी स्वयं की प्रयोगशाला को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। सहकुलपति ब्रिगेडियर अली ने प्रोफेसर तारिक हक्की को प्रतीक चिन्ह भैंट कर सम्मनित किया।

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