Tuesday 19 January 2016

मंगलायतन व एएमयू की 60.63 लाख रुपये की परियोजना को मिली मंजूरी


( चमन शर्मा )अलीगढ़:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और मंगलायतन विश्वविद्यालय की 60.63 लाख रुपये की एक संयुक्त महत्वकांक्षी परियोजना को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। इस परियोजना में रिह्यूमेटिक फीवर और हार्ट डिजीज की पहचान के लिए सस्ती और आसानी से प्रयोग की जाने वाली डायग्नोस्टिक किट बनाई जाएगी जिससे देश के लाखों गरीब मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

‘डेवलपमेंट ऑफ एन इफेक्टिव एंड अर्ली डायग्नोस्टिक गजेटटूल टू कंट्रोल प्रीव्लेंस ऑफ रिह्यूमेटिक हार्ट डिजिज’ शीर्षक की इस परियोजना पर कुल व्यय 60.63 लाख रुपये होगा। एएमयू में इंटरडिसीप्लीनरी बायोटेक्नोलॉजी यूनिट के डॉ. मोहम्मद ओवेस और मंगलायतन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च की डॉ. निशी शर्मा इस परियोजना के दो प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर होंगे।
डॉ. निशी शर्मा ने बताया कि इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद ‘ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोक्स’ (गैस) की पहचान के लिए बेहद सस्ती किट उपलब्ध हो सकेगी। गैस की वजह से जीवन को संकट में डालने वाली कई बीमारियां भारत सहित सभी विकासशील देशों में तेजी से फैल रही हैं। किट की मदद से इन बीमारियों की शुरूआती पहचान कर इनका असरदायक इलाज करने में मदद मिलेगी। परियोजना के शोध में इस प्रकार के जीन या प्रोटीन का विकास किया जाएगा जो भविष्य में इलाज का आधार बन सके।
रिह्यूमेटिक फीवर और रिह्यूमेटिक हार्ट डिजिज दुनियाभर में चिंता का विषय बनती जा रही हैं। फिलहाल इसके 1.56 करोड़ से अधिक मरीज हैं जिसकी वजह से हर साल 2.33 लाख मौतें हो रही हैं। इससे दिल के वाल्व खराब हो जाते हैं जिससे जीवन संकट में पड़ जाता है।
मेडिकल साइंस में निरंतर प्रगति के बावजूद इस बीमारी के इलाज के लिए अभी तक कारगर तकनीक की खोज नहीं हो पाई है। डॉ. निशी ने बताया कि इस परियोजना की मदद से बेहद सस्ती कीट विकसित करके गरीब मरीजों के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी। अलीगढ़ और आस-पास के क्षेत्रों में इस प्रकार के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसे काफी उम्मीदों भरी परियोजना मानी जा रही है।
कुलपति ब्रिगेडियर (डॉ.) सुरजीत पाबला ने परियोजना की मंजूरी पर बधाई दी।


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