Saturday 16 April 2016

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी मेडीकल साइंस की दुनियाॅ में है एक गंभीर विषय

CHAMAN SHARMA
अलीगढ़:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल काॅलेज के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग द्वारा यूपी चैप्टर आॅफ आब्सटेट्रिक्स एण्ड गायनाकालोजी के अलीगढ़ चैप्टर के सहयोग से हाई रिस्क प्रिग्नेंसी पर आयोजित सेकेंड मिड टर्म सीएमई के उद्घाटन सत्र समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि पद्मश्री डाॅक्टर उषा शर्मा ने कहा कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी मेडीकल साइंस की दुनियाॅ में एक गंभीर विषय बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि महिला की उम्र 18 वर्ष से कम है या फिर 35-40 के बीच है तो ऐसी स्थिति में गर्भवती महिला को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि ऐसे में गर्भधारण से लेकर प्रसव तक अनेक प्रकार की जटिलताओं का सामना उनके शरीर को करना पड़ता है और ऐसे में हाई रिस्क प्रिग्नेंसी की नौबत आ सकती है।
सहकुलपति ब्रिगेडियर एस अहमद अली ने कहा कि गर्भ समस्या रिस्क से जुड़ी रहती है और स्त्री को प्रसव के दौरान कष्टदायक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान में आए क्रांतिकारी परिवर्तन के चलते अब प्रसव की समस्या आसान हो गई है। जेएन मेडीकल काॅलेज के प्रिन्सिपल एण्ड सीएमएस प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान में हुए विकास के चलते गर्भावस्था के दौरान पैदा होने वाले सम्भावित अत्यधिक खतरों का निदान भी आसान हुआ है। मेडीसन संकाय के डीन प्रोफेसर जमाल अहमद ने कहा कि यह सीएमई इन मायनों में महत्वपूर्ण है कि यह हाई रिस्क प्रिग्नेंसी के प्रबंधन और आब्सटेट्रिक की आपातकालीन समस्या को समझने में सहायक सिद्व होगी। उन्होंने कहा कि इस सीएमई के माध्यम से प्रतिभागी हाई रिस्क प्रिग्नेंसी के प्रबंधन की वर्तमान समय की आवश्यकताओं को समझने में सफल होंगे।
आब्सटेट्रिक एण्ड गायनाकालोजी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर सीमा हकीम ने कहा कि इस कांफ्रेंस में हायपरटेंशन, हायपरग्लोसीमिया और एनिमिया के प्रभावों और भ्रूण विकास (फीटल ग्रोथ) प्रबंध पर चर्चा होगी।
यूपीसीओजी की अध्यक्ष प्रोफेसर राधाजीना ने कहा कि हाई रिस्क प्रिग्नेंसी प्रसव से पूर्व व उसके दौरान तथा उसके बाद चुनौतियाॅ पैदा कर सकती हैं जिसमें माॅ और बच्चे की विशेष देखभाल की आवश्यकता है। यूपीसीओजी की सचिव डाॅक्टर कीर्ति दुबे ने कहा कि यह कांफ्रेंस महिलाओं की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को समझने के लिए तमाम फासलों को कम करने का कार्य करेगी। डाॅ. इरम अली ने कार्यक्रम का संचालन किया।


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