Monday 15 February 2016

न्यूक्लियर फिजिक्स तबाही ही नहीं चिकित्सा,ऊर्जा, उत्पादन तथा उत्सर्जन में आ रहा है काम

अलीगढ़:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय फिजिक्स विभाग द्वारा रीसेंट ट्रेंड्स इन न्यूक्लियर फिजिक्स पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए सहकुलपति ब्रिगेडियर एस अहमद अली ने कहा कि न्यूक्लियर फिजिक्स को अक्सर परमाणु बम या तबाही से जोड़कर देखा जाता है जबकि वास्तविकता यह है न्यूक्लियर फिजिकस का इस्तेमाल वर्तमान समय में चिकित्सा क्षेत्र, ऊर्जा, उत्पादन तथा उत्सर्जन को कम करने के लिए हो रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में न्यूक्लियर फिजिक्स की मदद से कैंसर रोगियों का उपचार रेडियेशन के द्वारा हो रहा है और इससे कैंसर रोगी लाभांवित भी हो रहे हैं। ब्रिगेडियर अली ने कहा कि न्यूक्लियर फिजिक्स को केवल विध्वांसकारी नहीं समझना चाहिए बल्कि अन्य क्षेत्रों में उसके योगदान की भी सराहना करना चाहिए।
ब्रिगेडियर अली ने कहा कि शीघ्र ही एएमयू के आकाशीय नेवीगेशन में प्रशिक्षण के लिए एक प्लेनीटेरियम की स्थापना की जाएगी।
मुम्बई के टाटा इंस्टीटयूट फंडामेंटल रिसर्च के आईएनओ सेल के प्रोफेसर वीए दातर ने युवा शोधार्थियों से कहा कि वह अपनी सोच में परिवर्तन लाकर नए विचारों के साथ अपने कार्य को प्रस्तुत करें। प्रो. दातर ने गुरूत्वाकर्षी तरंगो के सिधान्त के विषय में बताते हुए कहा कि इससे जुड़ी खोजों के पूर्वानुमान एक सदी पूर्व किये गये थे लेकिन इस सिधान्त को सिद्व करने में जो सफलता प्रापत हुई है वह कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम हैं।
मुम्बई के भाभा परमाणु शोध संस्थान के प्रोफेसर एस कैलास ने कहा कि एएमयू में न्यूक्लियर फिजिक्स की उच्चकोटि की परम्परा है और एएमयू का फिजिक्स विभाग भी न्यूक्लियर फिजिक्स के समान 100 वर्ष पुराना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जब पूरे भारत में न्यूक्लियर फिजिक्स में शोधार्थियों एवं शिक्षकों की संख्या बहुत कम है वहीं एएमयू का फिजिक्स विभाग से आशा है कि वह इस कमी को पूरा करेगा। उन्होंने आग्रह किया कि वह विभाग में शोध कार्य के लिए एक छोटे एक्सीलेटर की उपलब्धता को सुनिश्चित बनाया जाए।
विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर अब्दुल मुनीर ने कहा कि एएमयू के फिजिक्स विभाग में न्यूक्लियर फिजिक्स में शोध कार्य 1950 में आरंभ हो गया था। उन्होंने कहा कि एएमयू के फिजिक्स विभाग की गणना विवि के प्रतिष्ठित विभागों में होती है। उन्होंने कहा कि विभाग में हुए शोध कार्यों से न्यूक्लियर मेडीसन, मैग्नोटिक रेजोनेंस इमेजिंग जैसे क्षेत्रों को काफी लाभ पहुॅचा है।
फिजिक्स विभाग के अध्यक्ष एवं कांफ्रेंस के आयोजन अध्यक्ष प्रो. एम अफजाल अन्सारी ने कहा कि फिजिक्स विभाग की स्थापना 1912 में हुई थी और विभाग में उच्च स्तर की शिक्षा एवं शोध कार्य की परम्परा आज भी बरकरार है। उन्होंने बताया कि विभाग ने प्रो. वलीमुहम्मद, प्रो. आर सेमुअल, प्रो. टीएस गिल, प्रो. आरके आसुंधी, प्रो. वेंकेटेश वरलू, प्रो. एएन मित्रा, प्रो. एचएच हंस, प्रो. रईस अहमद, प्रो. एमजेडआर चुगताई एवं प्रो. एमएल सहगल जैसे प्रमुख विज्ञान विभाग से जुड़े रहे हैं।
कांफ्रेंस के समन्वयक प्रो. बीपी सिंह ने बताया कि कांफ्रेंस शोधार्थी तथा अतिथि व्याख्याता नए ट्रेंड्स से जुड़े विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
कांफ्रेंस के आयोजन सचिव प्रोफेसर ईसार ए रिज़्वी ने कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस राष्ट्रीय कांफ्रेंस में दो सौ से अधिक प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं।

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